
जनपद बरेली के रामनगर ब्लॉक में बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) राजेश कुमार का एक कथित “रिश्वत मांगने वाला” ऑडियो वायरल होते ही पूरे विभाग में हड़कंप मच गया।
ऑडियो में कथित तौर पर BEO को शिक्षकों से “मिड-डे मील, CL और अन्य कार्यों में सुविधा देने के बदले पैसे मांगते” हुए सुना गया।
यानी — “काम भी मेरा, शुल्क भी मेरा!”
शिक्षकों ने पलट दी कहानी — ‘जो केस दर्ज कराया, वही निकला दोषी!’
शिक्षकों का आरोप है कि यही वही अधिकारी हैं जिन्होंने हाल ही में दो शिक्षकों शुभम कुमार और राकेश कुमार पर ₹10 लाख रंगदारी मांगने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन अब कहानी पलट गई है — उन्हीं शिक्षकों ने यह कथित ऑडियो जारी कर दिया!
अब मामला ऐसा हो गया है कि “पहले FIR करवाओ, फिर Tape लीक करवाओ — न्याय सोशल मीडिया तय करेगा!”
ऑडियो पहुंचा DM-SSP तक, जांच में जुटा प्रशासन
जैसे ही ऑडियो वायरल हुआ, शिक्षकों ने वह रिकॉर्डिंग जिलाधिकारी अविनाश सिंह और एसएसपी अनुराग आर्य को सौंप दी।
एसएसपी ने कहा — “ऑडियो की तकनीकी जांच कराई जाएगी। सच्चाई जो भी होगी, कार्रवाई होगी।”
वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय सिंह ने भी विभागीय जांच के आदेश देते हुए कहा — “अगर आरोप सही पाए गए, तो दोषी पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

जांच की जिम्मेदारी सीओ आंवला को दी गई है — अब वे यह पता लगाएंगे कि आवाज किसकी है, और कितनी “सुविधा” मांगी गई थी।
शिक्षा विभाग में फिर ‘करप्शन की क्लास’ शुरू
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बरेली में एक शिक्षक को एंटी-करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। अब फिर से शिक्षा विभाग के गलियारों में “करप्शन का पाठ” पढ़ाया जा रहा है।
प्रशासन सख्त, पर सिस्टम ढीला
अब जबकि जांच शुरू हो गई है, उम्मीद है कि “सुविधा शुल्क” की यह परंपरा खत्म होगी। “सिस्टम में सफाई उतनी ही मुश्किल है जितनी स्कूल में फैन ठीक कराना!”
शिक्षा की जगह रिश्वत, सवालों में सिस्टम
एक तरफ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात करती है, दूसरी तरफ विभाग के भीतर ऐसे ऑडियो सामने आते हैं जो “शिक्षा से ज्यादा रिश्वत की नीति” पर जोर देते हैं।
अगर यह आरोप सही निकले, तो यह सिर्फ एक अधिकारी नहीं — पूरे तंत्र की “मोरल एग्ज़ाम” में फेल रिपोर्ट कार्ड है।
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